अनाथ

FB_IMG_1541220220113

अनाथ
एक नाम दिया है दुनियां ने,
पर बतलाया नहीं क्यों?
हमेशा एक एहसान दिखा है,
जब भी मैंने मुस्कान दिया है,
आखिर क्यों मिला मुझे एक ऐसा चेहरा,
देख जिससे कुछ कहने सुनने को जी ना करता,
खुद पे व्यंग बना खुद ही हस लेता,
आखिर कोई और ना उसकी महफिल में शामिल,
तपते बदन पर ठंडी पोथी देने को ना था कोई,
तड़प तड़प कर खुद ताप भाग जाता,
याद तभी आती, क्या कभी था कोई गोदी में लेता ममता का हाथ फिरता,
बाबा बाबा बोल जिसके पास में जाता,
हर ज़िद पूरी करता हस्ता और मुस्कुराता,
कोई अगर करता पन्गा, लाता मैं अपना भाई,
अहा !!सुनने मैं कितना आनंद आता है….
पर मैं तो हक़ीक़त के चौराहे पर खड़ा अपने को पाता हूँ,
रोता हूँ पर दिखता नहीं किसे, हस्ता हूँ पर सुनता नहीं उससे,
कहना चाहता हूँ पर कोई समझें ना मुझे,
मैं बताना तो भूल गया,
आप सब मुझे एक खूब खूब नाम दिया,
मेहरबानी है आप सब की,
ऐसी तो औकात दी है,
पर ऐसी औकात का क्या?
मरने पर कोई ना नाम देगा,
ना कोई आंसू बहेगा,
बेनाम जन्म लिया है बेनाम ख़त्म हो जाएगा,
अगर फर्क पड़े तुम्हे मुझ जैसा दुसरो को ना रखना,
ये नाम किसी को भाता नहीं,
दुखता है कलंक जैसा…
आप के नाम पर जीने वाला “अनाथ “….

रूपा बासु